ग्वादालूपे की माँ मरियम

ग्वादालूपे माता मरियम की कहानी की शुरुआत सन 1531के दिसंबर महीने में मेक्सिको शहर के तेनोकाटिटलन गाँव से हुई, जहाँ से माता मरियम ने जुआन दियेगो नामक युवा किसान को चार बार दर्शन दिया|

जुआन दियेगो एक नये ईसाई थे और वे एक दिन पवित्र मिस्सा बलिदान में भाग लेने हेतु जा रहे थे तब रास्ते में एक सुंदर स्त्री, जिसका सारा बदन रोशनी से चमक रहा था, उनके सामने प्रकट हुई| इस दर्शन के दौरान चारों ओर पक्षियों का मधुर संगीत सुनाई पड़ा| इस संगीत के शांत होते ही उस सुंदर स्त्री ने ऐलान किया “मै सम्पूर्ण तथा नित्य कुँआरी संत मरिया हूँ|” जुआन दियेगो को उन्होंने यकीन दिलाया कि वे उनकी “करुणामयी माँ” है और सभी तरह के लोगों से प्यार करने के लिए ही आयी है तथा मेक्सिको शहर के तेपेयाक घाटी पर जहाँ वे खड़ी है, वहाँ उनके आदर में एक मंदिर बनवाना है| इस दर्शन के पश्चात् जुआन दियेगो ने सीधा अपने धर्माध्य्क्ष जुमर्रागा के पास जाकर उन्हें अवगत कराने की कोशिश की मगर धर्माध्य्क्ष ने गरीब किसान की कहानी को मानने से इन्कार कर दिया| तब जुआन दियेगो तेपेयक घाटी लौटे और माता मरियम से गिडगिडाकार अनुरोध करने लगा की वे उससे अधिक इज्जतदार तथा काबिल व्यक्ति को उनकी मनोकामना पूरी करने के लिए चुने| उनके अनुरोध को टुकराते हुए माता मरियम ने उन्हें फिर से एक बार धर्माध्यक्ष से यह कहने के लिए भेजा: “मै सम्पूर्ण तथा नित्य कुँआरी, संत मरिया, ईश्वर की माता ही हूँ, जो तुम्हे यह जिम्मेदारी सौंप रही हूँ|”

मिस्सा बलिदान में भाग लेने के बाद जुआन दियेगो फिर एक बार धर्माध्यक्ष के पास गये और काफी इन्तजार के बाद उनसे मुलाक़ात हुई तब उन्होंने फिर एक बार माता मरियम के दर्शन के बारे में धर्माध्यक्ष को बताया| इस बार धर्माध्यक्ष ने उनकी बात सुनकर उनसे कहा की वे उस “स्वर्गीय स्त्री” से उनके अस्तित्व के विषय में एक ठोस सबूत मांगे| जैसे ही जुआन दियेगो वहाँ से बाहर निकले, धर्माध्यक्ष ने उनके पीछे अपने लोगों को यह पता करने के लिए भेजा कि वह कहाँ जाता है और किससे मिलता है|

इस घटना के दूसरे दिन जुआन दियेगो दौड़ते हुए अपने मामा जुआन बर्नादीनो के घर गए जहाँ वे अपनी म्रत्यु-शय्या पर थे| बूढ़े बर्नादीनो बहुत ही बीमार थे और अपने भगीने से अनुरोध किया की वे उनके अंतमलन के लिए एक पुरोहित को ले आएँ| दूसरे दिन भोर में ही जुआन दियेगो एक पुरोहित की खोज में निकल पड़े और रास्ते में ही तय कर लिया कि वे उस घाटी के रास्ते से होकर नहीं जाएँगे जहाँ माता मरियम का दर्शन हुआ था, कहीं ऐसा न हो कि माँ मरियम उसे फिर दर्शन दें और इसमें उसका समय बर्बाद हो जाए तथा उनके मामा अंतमलन संस्कार से वंचित रह जाएँ| लेकिन माँ मरियम ने उन्हें उस रास्ते पर भी दर्शन दिया और पुछा: “तुम कहाँ जा रहे हो?” जुआन दियेगो ने उन्हें सच्चाई बतायी| तब माता मरियम ने उन्हें भरोसा दिलाया कि उनके मामा के सामने वे प्रकट हुईं थीं और उन्हें चंगाई प्राप्त हुई है| इस घटना के कारण ही ग्वादालूपे की माता मरियम को ‘चंगाई प्रदान करनेवाली माता’ कहा जाता है| उसी दिन जुआन दियेगो को माता मरियम ने यह भी भरोसा दिया कि वे जल्द ही उसे एक ठोस सबूत देंगी जो उसके धर्माध्यक्ष ने माँगा था|

12 दिसंबर 1531 ई. को माता मरियम ने जुआन दियेगो को चौथी बार दर्शन देकर तेपेयाक घाटी पर जाने का आदेश दिया| तेपेयाक घाटी एक मरुभूमि थी और उस मरुभूमि में कस्तिलियन फूल, जो सिर्फ बगान में ही उगते है, समेटने को कहा| वहाँ पहुँचने पर माता मरियम ने खुद अपने हाथों में फूल समेटकर, मगवे पौदे के धागे से बने जुआन दियेगो के अंगवस्त्र में रख दिये| ग्वादालूपे माँ मरियम के इस ठोस सबूत को लेकर जुआन दियेगो धर्माध्यक्ष जुमर्रागा के महल के लिए रवाना हुए| जैसेही उन्होंने धर्माध्यक्ष के सामने अपना अंगवस्त्र खोला, सारे फूल धर्माध्यक्ष के चरणों पर बरसे और जुआन दियेगो के उस अंगवस्त्र पर अचानक एक चित्र दिखाई पड़ा जिसमें “नित्य कुंआरी, पवित्र मरिया, ईश्वर की माता” थीं|

ग्वादालूपे माता मरियम का यह चित्र आज भी मेक्सिको शहर में स्थित ग्वादालूपे माँ मरियम को समर्पित महामंदिर में है|